पर्याप्त समय नहीं म...
 
Notifications
Clear all

पर्याप्त समय नहीं मिलने से GST लागू करने में आई दिक्कतें: GSTN CEO

1 Posts
1 Users
0 Likes
6,215 Views
(@staff)
Member Admin
Joined: 6 years ago
Posts: 53
Topic starter  

According to IANS, जीएसटीएन के एक शीर्ष अधिकारी ने दावा किया है कि जीएसटी के टेक्निकल बेस यानी जीएसटीएन को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने की वजह से शुरुआती दिनों में नए कर प्रणाली को लागू करने में खामियां आईं.

हालांकि उन्होंने आगे कहा कि सिस्टम अब सुदृढ़ बन चुका है और नीतिकार भी मानते हैं कि जीएसटीएन को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए जिससे कि वो सिस्टम में और अधिक बदलाव को लागू कर सकें और आने वाले दिनों में सबकुछ आसानी से चल पाए.

पिछले साल जुलाई 1 को जीएसटी लागू होने के साथ ही दिक्कतें आनी शुरू हो गईं और इस साल पहली फरवरी को जब ई-वे बिल लागू हुआ तो ये दिक्कतें और अधिक बढ़ गईं.

जीएसटीएन के सीईओ प्रकाश कुमार के मुताबिक ई-वे बिल के रोल-आउट की तारीख पहली अप्रैल थी. लेकिन इसे समय से पहले फरवरी में ही लागू कर देना एक गिलती साबित हुई.

उन्होंने आगे कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर गठित मंत्रीसमूह ने इसकी जांच की और कहा कि इसे समय से पहले लागू नहीं किया जाना चाहिए. यही नहीं, मंत्रीसमूह के अध्यक्ष सुशील मोदी का कहना है कि इसे क्रमबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए. सिस्टम और यूज़र्स दोनों को समय दिया जाना चाहिए.

ई-वे बिल लागू होने से पहले भी सिस्टम में खराबी थी, जिसके संबंध में कुमार ने कहा कि समय के अभाव के कारण ये खराबी पैदा हुई.

उन्होंने कहा, 'समय कम था और बात पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है. खामियां थीं और मॉड्यूल का क्रमबद्ध ढंग से संचालन नहीं हो पा रहा था. इसकी वजह ये थी कि कानून का मसौदा तैयार कर जिस तरीके से इसे पेश किया गया और नियमों और रिटर्न फॉर्म का प्रावधान किया गया, वैसे में समय की बाध्यता थी.'

जीएसटीएन में पूरा सिस्टम मसौदे के आधार पर तैयार किया गया, लेकिन पिछले साल मार्च में कानून में बदलाव किया गया.

उन्होंने कहा, 'इस प्रकार हमारे पास कानून मार्च में बनकर आया. नियमों पर अंतिम फैसला अप्रैल और मई में हुआ और हमारे पास अधिकांश फॉर्म जून और जुलाई में आए. इसलिए इसके लिए किसी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.'

कुमार ने कहा कि सरकार के लिए भी समयसीमा थी, क्योंकि नई कर व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए सिर्फ एक साल का समय था.

उन्होंने कहा, 'आठ या नौ सितंबर के बाद अव्यवस्था हो जाती, जब केंद्र या राज्य की कोई सरकार कोई कर लगा पाती. अगर आप कर नहीं लगाएंगे तो फिर सरकार कैसे चलेगी?'

उन्होंने कहा, 'दोषारोपण करना आसान है कि कोई योजना नहीं थी, लेकिन हमने लागू किया और अब यह व्यवस्था सुचारु हो गई है. अब हमारा ध्यान इस बात पर नहीं होना चाहिए कि पीछे क्या हुआ, बल्कि इस बात पर होना चाहिए कि इसमें आगे कैसे सुधार किया जाए कि यह उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक हो.'

यही कारण है कि जीएसटी परिषद ने 21 जुलाई की बैठक में रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया में पूरा बदलाव लाने का फैसला किया और परिषद ने आईटी सिस्टम को इसे तैयार करने के लिए छह महीने का समय दिया.

उन्होंने कहा कि बाद में ई-वे बिल एक अप्रैल को लागू किया गया. सिस्टम सुचारु ढंग से काम कर रहा है और रोज़ाना औसतन 20 लाख रिटर्न दाखिल किए जा रहे हैं.


   
Quote
Share: